Thursday, 20 September 2012

वर्तमान काल की मांग है कि 
राजनीति पर समाज हावी हो 
और 
इसके लिए भारत 
एक नए राजनीतिक दर्शन हेतु तैयार है ।
हम राज्य पर समाज की संप्रभुता 
स्थापित करने की तैयारी में जुटे हैं ।
                                                           

भावी भारत का प्रस्तावित संविधान 
https://docs.google.com/file/d/0B4TuEWmc6yjgUWloenlIMFA5a2c/edit


लोक संसद 
https://docs.google.com/file/d/0B4TuEWmc6yjgS0lkdjhUSmpmOUk/edit


2014 में किसका राज ? 

लोक स्वराज ! लोक स्वराज !!
     पिछले कुछ महीनों की परिस्थितियों से स्पष्ट है की वर्तमान भारत में "लोक" "तंत्र" पर संप्रभुता स्थापित करने हेतु कटिबद्ध है । राजनीति पर समाज के अंकुश की इच्छा अब उत्तरोत्तर बलवती हो रही है । इस जनजागरण का श्रेय भारतीय समाज को तो जाता ही है, साथ-साथ समूची राजनैतिक व्यवस्था की बंदरबांट वृत्ति के खुलासों ने भी इस जन-जागरण को पुष्ट ही किया है । 

     अब भारत की जनता "सत्ता परिवर्तन" एवं "व्यवस्था परिवर्तन" का भेद जानने लगी है तथा व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में कार्यरत समूहों को शक्ति प्रदान करने लगी है, चाहे वह लोक स्वराज मंच हो, अन्ना हजारे हों, अरविन्द केजरीवाल हों, या अनेकानेक स्थानीय आन्दोलन । 

     परिवर्तन की चाह तथा कार्यान्वयन में अंतर होता है, क्योंकि चाह नीयत-प्रधान होती है एवं कार्यान्वयन नीति-प्रधान । जयप्रकाश आन्दोलन में भी नीयत ठीक रहीं, नीतियाँ गड़बड़ाईं । आज 35 साल बाद फिर ऐसा ही सुनहरा मौक़ा भारत के सामने है, बशर्ते उस समय की नीतिगत त्रुटियों की पुनरावृत्ति से बचा जाय तो सम्पूर्ण क्रान्ति निश्चित तौर पर संभव है । 

     लोक स्वराज मंच 1999 से ही व्यवस्था परिवर्तन कार्यान्वयन के नीतिगत मसलों में स्पष्ट रहा है । भावी भारत का संविधान एवं लोक संसद के विचार इसके प्रमाण हैं । बदलते भारत को इन विचारों से प्रत्यक्ष परिचय करवाने हेतु लोक स्वराज मंच ने व्यापक जन-चेतना यात्रा 22 नवम्बर 2012 से 11 दिसंबर 2012 तक  आयोजित की है। (विस्तृत यात्रा विवरण हेतु यहाँ क्लिक करें) 

    आप भी लोक स्वराज मंच के माध्यम से बदलते भारत के नवनिर्माण में सहयोगी बनें, रमेश कुमार चौबे, फोन 08435023029 से संपर्क करें, एवं इस यात्रा में अपनी क्षमतानुसार सहयोग दें ।